Changes

Jump to navigation Jump to search
m
Text replacement - "बीच" to "मध्य"
Line 56: Line 56:  
# अब एक एक अक्षर का वाचन स्वतंत्र रूप से करवाएँ। इससे पूर्व एक एक अक्षर का सस्वर पठन एवं सभी अक्षरों से युक्त अर्थपूर्ण वाचन का प्रचुर मात्रा में अभ्यास हो चुका है। इससे एक एक अक्षर एवं संयुक्ताक्षर की पहचान करके पढ़ना आसान बनाया जा सकता है।
 
# अब एक एक अक्षर का वाचन स्वतंत्र रूप से करवाएँ। इससे पूर्व एक एक अक्षर का सस्वर पठन एवं सभी अक्षरों से युक्त अर्थपूर्ण वाचन का प्रचुर मात्रा में अभ्यास हो चुका है। इससे एक एक अक्षर एवं संयुक्ताक्षर की पहचान करके पढ़ना आसान बनाया जा सकता है।
 
# एक एक अक्षर पढ़ना आ जाने के बाद अक्षरों का उपयोग करेक शब्द बनाने का अभ्यास करवाना चाहिए। इसके लिए भाषा के अनेक प्रकार के खेल बनाए गये हैं।
 
# एक एक अक्षर पढ़ना आ जाने के बाद अक्षरों का उपयोग करेक शब्द बनाने का अभ्यास करवाना चाहिए। इसके लिए भाषा के अनेक प्रकार के खेल बनाए गये हैं।
# इसके पश्चात् धाराप्रवाह वाचन की आरम्भआत होती है। संपूर्ण वाचन के लिए प्रथम अनुवाचन का प्रयोग करना चाहिए। अनुवाचन अर्थात् प्रतम शिक्षक सस्वर वाचन करें इसके बाद छात्र शिक्षक को सुनकर एवं पुस्तक में देखकर सस्वर पढ़े। ऐसा करने से बोलना एवं देखकर पढ़ना-दोनों क्रियाएँ एकसाथ होंगी एवं भाषा के ध्वनिस्वरूप एवं वर्णस्वरूप के बीच सामंजस्य स्थापित होगा।
+
# इसके पश्चात् धाराप्रवाह वाचन की आरम्भआत होती है। संपूर्ण वाचन के लिए प्रथम अनुवाचन का प्रयोग करना चाहिए। अनुवाचन अर्थात् प्रतम शिक्षक सस्वर वाचन करें इसके बाद छात्र शिक्षक को सुनकर एवं पुस्तक में देखकर सस्वर पढ़े। ऐसा करने से बोलना एवं देखकर पढ़ना-दोनों क्रियाएँ एकसाथ होंगी एवं भाषा के ध्वनिस्वरूप एवं वर्णस्वरूप के मध्य सामंजस्य स्थापित होगा।
 
# अब छात्रों से स्वतंत्र वाचन करवाएँ। स्वतंत्र वाचन अर्थात् पुस्तक का स्वयं किया गया वाचन। इस प्रकार वाचन के अभ्यास के दौरान ही पुस्तक के अतिरिक्त फलक, अखबार, पत्रिकाएँ इत्यादि सबकुछ पढ़ने का अभ्यास होते रहना चाहिए। प्रारंभ में सस्वर (जोर से) पढ़ने के बाद मंद स्वर में वाचन एवं अंत में मन में ही वाचन हो यही वाचन का क्रम है। यह वाचन सिखाना अर्थात् धाराप्रवाह वाचन ही सिखाना अपेक्षित है।
 
# अब छात्रों से स्वतंत्र वाचन करवाएँ। स्वतंत्र वाचन अर्थात् पुस्तक का स्वयं किया गया वाचन। इस प्रकार वाचन के अभ्यास के दौरान ही पुस्तक के अतिरिक्त फलक, अखबार, पत्रिकाएँ इत्यादि सबकुछ पढ़ने का अभ्यास होते रहना चाहिए। प्रारंभ में सस्वर (जोर से) पढ़ने के बाद मंद स्वर में वाचन एवं अंत में मन में ही वाचन हो यही वाचन का क्रम है। यह वाचन सिखाना अर्थात् धाराप्रवाह वाचन ही सिखाना अपेक्षित है।
   Line 64: Line 64:  
## सभी अक्षर एक समान नाप के होने चाहिए।
 
## सभी अक्षर एक समान नाप के होने चाहिए।
 
## सभी मात्राएँ शिरोरेखा से समकोण पर हों एवं समान्तर हों।
 
## सभी मात्राएँ शिरोरेखा से समकोण पर हों एवं समान्तर हों।
## अनुस्वार, ह्रस्व एवं दीर्घ 'ई' तथा 'ऊ' की मात्राएँ, ए, ऐ, ओ, औ की मात्राओं के बीच तालमेल बना रहे।
+
## अनुस्वार, ह्रस्व एवं दीर्घ 'ई' तथा 'ऊ' की मात्राएँ, ए, ऐ, ओ, औ की मात्राओं के मध्य तालमेल बना रहे।
 
# इस तरह शब्द लिखने के खूब अभ्यास के बाद वाक्य लिखने की बारी आती है। वाक्यों के लेखन में तीन बातें महत्त्वपूर्ण हैं:
 
# इस तरह शब्द लिखने के खूब अभ्यास के बाद वाक्य लिखने की बारी आती है। वाक्यों के लेखन में तीन बातें महत्त्वपूर्ण हैं:
## दो शब्दों के बीच समान दूरी हो।
+
## दो शब्दों के मध्य समान दूरी हो।
 
## संपूर्ण वाक्य सीधी रेखा में लिखा जाए एवं पहले से लेकर अंतिम तक सभी अक्षर समान नाप के हों।
 
## संपूर्ण वाक्य सीधी रेखा में लिखा जाए एवं पहले से लेकर अंतिम तक सभी अक्षर समान नाप के हों।
 
## विरामचिह्न का योग्य उपयोग एवं लेखन हो। यह सब कुछ करने से लिखावट सुंदर एवं शुद्ध बनती है। परंतु यह सब बहुत अभ्यास एवं सावधानी के बाद होता है। इसलिए शिक्षक या मातापिता को उतावली नहीं करना चाहिए। सारा जीवन सुंदर एवं शुद्ध लिखावट से लिखना हो तो उसकी प्रारंभिक तैयारी पक्की करना ही चाहिए। महात्मा गाँधी ने सच ही कहा है, 'खराब अक्षर अधूरी शिक्षा की निशानी हैं।'
 
## विरामचिह्न का योग्य उपयोग एवं लेखन हो। यह सब कुछ करने से लिखावट सुंदर एवं शुद्ध बनती है। परंतु यह सब बहुत अभ्यास एवं सावधानी के बाद होता है। इसलिए शिक्षक या मातापिता को उतावली नहीं करना चाहिए। सारा जीवन सुंदर एवं शुद्ध लिखावट से लिखना हो तो उसकी प्रारंभिक तैयारी पक्की करना ही चाहिए। महात्मा गाँधी ने सच ही कहा है, 'खराब अक्षर अधूरी शिक्षा की निशानी हैं।'
Line 77: Line 77:  
## एक विशिष्ट प्रकार की द्विरुक्ति जैसे पानी-वानी, ताली-वाली, पेन-वेन...इत्यादि।
 
## एक विशिष्ट प्रकार की द्विरुक्ति जैसे पानी-वानी, ताली-वाली, पेन-वेन...इत्यादि।
 
## शब्द संयोजन जैसे कि बातचीत, गपगोले, तितर-बितर आदि।
 
## शब्द संयोजन जैसे कि बातचीत, गपगोले, तितर-बितर आदि।
इस प्रकार भाषा एक आधारभूत विषय है। इसे अच्छी तरह से सीखने के लिए विविध क्रियाकलाप एवं कार्यक्रम करने चाहिए। गीतपुस्तिका, कहानीसंग्रह, नाट्यपुस्तिका, कहावत पुस्तिका, निबंधपुस्तिका, शब्दकोश, शब्दचित्रकोश, भाषाकीय खेल आदि अनेकों प्रकार की सामग्री का उपयोग करना चाहिए। भाषा की सामग्री में अन्य विषयों की जानकारी का भी समावेश हो जाता है। शिक्षकों एवं मातापिता के लिए यह आवश्यक है कि वे छात्रों में वाचन के प्रति रुचि उत्पन्न करने का प्रयास करें। इसके लिए घर में एवं विद्यालय में पुस्तकालय अवश्य होना ही चाहिए। छात्रों को हमेशा नियमित पुस्तकालय में ले जाना चाहिए एवं उन्हें पुस्तकों के बीच स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए।
+
इस प्रकार भाषा एक आधारभूत विषय है। इसे अच्छी तरह से सीखने के लिए विविध क्रियाकलाप एवं कार्यक्रम करने चाहिए। गीतपुस्तिका, कहानीसंग्रह, नाट्यपुस्तिका, कहावत पुस्तिका, निबंधपुस्तिका, शब्दकोश, शब्दचित्रकोश, भाषाकीय खेल आदि अनेकों प्रकार की सामग्री का उपयोग करना चाहिए। भाषा की सामग्री में अन्य विषयों की जानकारी का भी समावेश हो जाता है। शिक्षकों एवं मातापिता के लिए यह आवश्यक है कि वे छात्रों में वाचन के प्रति रुचि उत्पन्न करने का प्रयास करें। इसके लिए घर में एवं विद्यालय में पुस्तकालय अवश्य होना ही चाहिए। छात्रों को हमेशा नियमित पुस्तकालय में ले जाना चाहिए एवं उन्हें पुस्तकों के मध्य स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए।
    
==References==
 
==References==

Navigation menu