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=== अध्याय १४ ===
 
=== अध्याय १४ ===
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# जब तक केवल अनुसन्धान का कार्य चलता है तब तक अर्थव्यवस्था के सम्बन्ध में कुछ कठिनाई हो सकती है । परन्तु जब छात्रों की शिक्षा शुरू होती है तब वे भी इस कार्य में सहभागी बन सकते हैं। तक्षशिला विद्यापीठ में देशविदेश से आये हजारों छात्र पढते थे। यह विद्यापीठ ग्यारह सौ वर्ष तक श्रेष्ठ विद्यापीठ के नाते प्रतिष्ठित रहा । इसकी अर्थव्यवस्था के सम्बन्ध में अनुसन्धान करने की आवश्यकता है।
 
# जब तक केवल अनुसन्धान का कार्य चलता है तब तक अर्थव्यवस्था के सम्बन्ध में कुछ कठिनाई हो सकती है । परन्तु जब छात्रों की शिक्षा शुरू होती है तब वे भी इस कार्य में सहभागी बन सकते हैं। तक्षशिला विद्यापीठ में देशविदेश से आये हजारों छात्र पढते थे। यह विद्यापीठ ग्यारह सौ वर्ष तक श्रेष्ठ विद्यापीठ के नाते प्रतिष्ठित रहा । इसकी अर्थव्यवस्था के सम्बन्ध में अनुसन्धान करने की आवश्यकता है।
 
# आगे चलकर समित्पाणि, भिक्षा, दान, गुरुदक्षिणा आदि विश्वविद्यालय की अर्थव्यवस्था के अंग बनेंगे। तब यह कोई विकट प्रश्न नहीं रहेगा।
 
# आगे चलकर समित्पाणि, भिक्षा, दान, गुरुदक्षिणा आदि विश्वविद्यालय की अर्थव्यवस्था के अंग बनेंगे। तब यह कोई विकट प्रश्न नहीं रहेगा।
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==References==
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<references />भारतीय शिक्षा : वैश्विक संकटों का निवारण भारतीय शिक्षा (भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला ५), प्रकाशक: पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट, लेखन एवं संपादन: श्रीमती इंदुमती काटदरे
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[[Category:Bhartiya Shiksha Granthmala(भारतीय शिक्षा ग्रन्थमाला)]]
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[[Category:Education Series]]
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[[Category:भारतीय शिक्षा : भारतीय शिक्षा के व्यावहारिक आयाम]]
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