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परन्तु आजकल स्थिति कुछ विपरीत भी बनी है। आज विद्यालय उनके भवन, सुविधाओं और विद्यार्थी संख्या से जाने जाते हैं । विद्यालय परिसर जितना विशाल, विद्यालय का भवन जितना भव्य, भवनों की संख्या जितनी अधिक, वाहन जितने अधिक, विद्यालय की सुविधायें जितनी अद्यतन और इन सबके अनुपात में विद्यालय का शुल्क जितना ऊँचा उतनी विद्यालय की प्रतिष्ठा भी अधिक ।
 
परन्तु आजकल स्थिति कुछ विपरीत भी बनी है। आज विद्यालय उनके भवन, सुविधाओं और विद्यार्थी संख्या से जाने जाते हैं । विद्यालय परिसर जितना विशाल, विद्यालय का भवन जितना भव्य, भवनों की संख्या जितनी अधिक, वाहन जितने अधिक, विद्यालय की सुविधायें जितनी अद्यतन और इन सबके अनुपात में विद्यालय का शुल्क जितना ऊँचा उतनी विद्यालय की प्रतिष्ठा भी अधिक ।
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अंग्रेजी माध्यम प्रतिष्ठा का और एक विषय है । जितनी कम आयु में अंग्रेजी पढाया जाता है उतनी अधिक प्रतिष्ठा होती है । अंग्रेजी के साथ साथ यदि अन्य विदेशी भाषायें भी सिखाई जाती हैं तो और भी अच्छा है। विद्यालय में यदि विदेशी छात्र पढ़ते हैं तो वह भी गौरव का विषय बनता है । विदेशी मेहमान आते हैं तो प्रतिष्ठा बढती है ।
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अंग्रेजी माध्यम प्रतिष्ठा का और एक विषय है । जितनी कम आयु में अंग्रेजी पढाया जाता है उतनी अधिक प्रतिष्ठा होती है । अंग्रेजी के साथ साथ यदि अन्य विदेशी भाषायें भी सिखाई जाती हैं तो और भी अच्छा है। विद्यालय में यदि विदेशी छात्र पढ़ते हैं तो वह भी गौरव का विषय बनता है । विदेशी अतिथि आते हैं तो प्रतिष्ठा बढती है ।
    
विदेशी खेल खेले जाते हैं, विदेश में शैक्षिक भ्रमण के लिये जाना होता है, आन्तर्राष्ट्रीय बोर्ड की मान्यता है, विदेशी वेश का गणवेश, विद्यालय के कैण्टीन में कण्टीनेन्टल नाश्ता मिलता है तो विद्यालय प्रतिष्ठित माना जाता है ।
 
विदेशी खेल खेले जाते हैं, विदेश में शैक्षिक भ्रमण के लिये जाना होता है, आन्तर्राष्ट्रीय बोर्ड की मान्यता है, विदेशी वेश का गणवेश, विद्यालय के कैण्टीन में कण्टीनेन्टल नाश्ता मिलता है तो विद्यालय प्रतिष्ठित माना जाता है ।

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