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२. शिक्षकों को आर्थिक स्वावलम्बन प्राप्त करना होगा । नौकरी करना छोडकर अपनी जिम्मेदारी पर विद्यालय चलनें होंगे।  
 
२. शिक्षकों को आर्थिक स्वावलम्बन प्राप्त करना होगा । नौकरी करना छोडकर अपनी जिम्मेदारी पर विद्यालय चलनें होंगे।  
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३. शिक्षा का नौकरी से सम्बन्ध विच्छेद करना होगा। स्वतन्त्र रहकर, समाज की सेवा करने की वृत्ति से, समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उद्योग कर अर्थार्जन करना सिखाना होगा। इस प्रकार समाज की
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३. शिक्षा का नौकरी से सम्बन्ध विच्छेद करना होगा। स्वतन्त्र रहकर, समाज की सेवा करने की वृत्ति से, समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उद्योग कर अर्थार्जन करना सिखाना होगा। इस प्रकार समाज की आर्थिक स्वतन्त्रता निर्माण करनी होगी। स्वतन्त्र समाज अपने स्वमान की रक्षा करता है और शिक्षा का सम्मान करता है।
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४. चरित्र का सम्मान करना होगा । शिक्षकों को स्वयं चरित्रवान बनकर विद्यार्थियों को चरित्रवान बनाना होगा।
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५. परीक्षा केन्द्रों को विद्यालय में लाना होगा। शिक्षक ही अपने विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र दे सकें ऐसा विश्वसनीय बनना होगा।
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६. विद्यालय भवन और सुविधाओं से नहीं अपितु ज्ञान और चरित्र से जाना जाय इसे बार बार लोगों के समक्ष बताना होगा।
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७. भारतीय ज्ञानधारा को युगानुकूल प्रवाहित करने हेतु अध्ययन और अनुसन्धान के कार्य को भारतीय जीवनदृष्टि में केन्द्रित करना होगा।
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यह एक आन्तरिक परिवर्तन है और धैर्यपूर्वक निरन्तर प्रयास की अपेक्षा करता है । चाणक्य और तक्षशिला यदि आदर्श हैं तो इन आदर्शों को मूर्त करना कोई सरल काम नहीं है।
    
पढ़ती हैं वे विद्यालय प्रतिष्टित हैं ।
 
पढ़ती हैं वे विद्यालय प्रतिष्टित हैं ।
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