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रात को सोते समय अच्छे विचार करते हुए, अच्छी कहानी सुनते हुए, या अच्छे विचार का चिन्तन करते हुए सोने से निद्रा अच्छी आती है । टी.वी. में कैसे भी उत्तेजक दृश्य देखते देखते सोने से नींद खराब होती है, मन भी खराब होता है। यदि रात को ठीक समय पर सो जायें तो सुबह जल्दी उठना उनके लिये अपने आप सम्भव होता है। नींद पूरी होने के बाद ही जागना यह शरीर का स्वाभाविक धर्म है। परन्तु व्यवस्था भी हमने ऐसी ही करनी चाहिये कि सुबह पाँच बजे के आसपास उठना छात्रों के लिये स्वाभाविक हो। सुबह उठने के बाद यदि पेट साफ नहीं हुआ तो भी अस्वस्थता बनी रहती है इसलिये पेट साफ होने की ओर भी ध्यान चाहिये। दाँत साफ करना, गला साफ करना, श्वसन मार्ग साफ करना, यह भी बहुत आवश्यक है। बैठने की, चलने की, खड़े रहने की सही स्थिति सिखाना यह भी अध्ययन करने की पूर्व शर्ते हैं।
 
रात को सोते समय अच्छे विचार करते हुए, अच्छी कहानी सुनते हुए, या अच्छे विचार का चिन्तन करते हुए सोने से निद्रा अच्छी आती है । टी.वी. में कैसे भी उत्तेजक दृश्य देखते देखते सोने से नींद खराब होती है, मन भी खराब होता है। यदि रात को ठीक समय पर सो जायें तो सुबह जल्दी उठना उनके लिये अपने आप सम्भव होता है। नींद पूरी होने के बाद ही जागना यह शरीर का स्वाभाविक धर्म है। परन्तु व्यवस्था भी हमने ऐसी ही करनी चाहिये कि सुबह पाँच बजे के आसपास उठना छात्रों के लिये स्वाभाविक हो। सुबह उठने के बाद यदि पेट साफ नहीं हुआ तो भी अस्वस्थता बनी रहती है इसलिये पेट साफ होने की ओर भी ध्यान चाहिये। दाँत साफ करना, गला साफ करना, श्वसन मार्ग साफ करना, यह भी बहुत आवश्यक है। बैठने की, चलने की, खड़े रहने की सही स्थिति सिखाना यह भी अध्ययन करने की पूर्व शर्ते हैं।
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शरीर को स्वस्थ रखने के लिये शरीर की मालिश करना, अच्छी तरह से स्नान करना, और व्यायाम करना यह बहुत जरूरी है। व्यायाम के कारण से यदि एक बार पसीना निकल जाता है, सायंकाल खेलने के माध्यम से भी पसीना निकल जाता है तो शरीर के और मन के मैल निकल जाते हैं और शरीर स्फूर्तिदायक, स्वस्थ और प्रसन्न बन जाता है। इसके बाद मालिश और स्नान भी शरीर के पोषण के लिये बहुत आवश्यक है। उसके साथ साथ सात्त्विक आहार भी शरीर और मन दोनों के लिये उपकारक हैं । इस प्रकार आहार विहार का अर्थात्‌ आहार, निद्रा इन दोनों का तथा व्यायाम खेल आदि सारी बातों का पहले ध्यान रखने से और सही आदतें डालने से, अध्ययन करने के लिये शरीर स्वस्थ रहता है और अनुकूलता निर्माण करता है। ऐसा छात्र अध्ययन करने में एकाग्रता भी साध सकता है।
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शरीर को स्वस्थ रखने के लिये शरीर की मालिश करना, अच्छी तरह से स्नान करना, और व्यायाम करना यह बहुत आवश्यक है। व्यायाम के कारण से यदि एक बार पसीना निकल जाता है, सायंकाल खेलने के माध्यम से भी पसीना निकल जाता है तो शरीर के और मन के मैल निकल जाते हैं और शरीर स्फूर्तिदायक, स्वस्थ और प्रसन्न बन जाता है। इसके बाद मालिश और स्नान भी शरीर के पोषण के लिये बहुत आवश्यक है। उसके साथ साथ सात्त्विक आहार भी शरीर और मन दोनों के लिये उपकारक हैं । इस प्रकार आहार विहार का अर्थात्‌ आहार, निद्रा इन दोनों का तथा व्यायाम खेल आदि सारी बातों का पहले ध्यान रखने से और सही आदतें डालने से, अध्ययन करने के लिये शरीर स्वस्थ रहता है और अनुकूलता निर्माण करता है। ऐसा छात्र अध्ययन करने में एकाग्रता भी साध सकता है।
    
== प्राणिक स्तर के अवरोध ==
 
== प्राणिक स्तर के अवरोध ==

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