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# मानव का स्तर मनुष्य जीवन में उसके गुण, कर्म और स्वभाव के अनुसार होता है । परिवार में जाति में या राष्ट्र में सभी स्तर पर मूल्यांकन इन्हीं के आधारपर होता है ।
 
# मानव का स्तर मनुष्य जीवन में उसके गुण, कर्म और स्वभाव के अनुसार होता है । परिवार में जाति में या राष्ट्र में सभी स्तर पर मूल्यांकन इन्हीं के आधारपर होता है ।
 
# व्यवहार में यह सिद्धांत है कि जैसा व्यवहार हम अपने लिए औरों से चाहते हैं वैसा ही व्यवहार हम उनसे करें ।
 
# व्यवहार में यह सिद्धांत है कि जैसा व्यवहार हम अपने लिए औरों से चाहते हैं वैसा ही व्यवहार हम उनसे करें ।
# धैर्य, क्षमा, दया, मन पर नियंत्रण, चोरी न करना, शरीर और व्यवहार की शुद्धता, इन्दियोंपर नियंत्रण, बुद्धि का प्रयोग, ज्ञान का संचय, सत्य (मन, वचन और कर्म से) व्यवहार और क्रोध न करना ऐसा दस लक्षणों वाला धर्म माना जाता है।
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# धैर्य, क्षमा, दया, मन पर नियंत्रण, चोरी न करना, शरीर और व्यवहार की शुद्धता, इन्दियों पर नियंत्रण, बुद्धि का प्रयोग, ज्ञान का संचय, सत्य (मन, वचन और कर्म से) व्यवहार और क्रोध न करना ऐसा दस लक्षणों वाला धर्म माना जाता है।
 
# प्रत्येक व्यक्ति के लिए बुद्धि, तर्क और प्रकृति के नियमों की बात ही माननीय है। यही श्रेष्ठ व्यवहार है।  
 
# प्रत्येक व्यक्ति के लिए बुद्धि, तर्क और प्रकृति के नियमों की बात ही माननीय है। यही श्रेष्ठ व्यवहार है।  
 
इस देश में कभी ये लोग वेदमत के माने जाते थे । पीछे इनका नाम हिन्दू हुआ । वर्तमान  में यह नाम हिन्दू है । इस जनसमूह में बाहर से भी लोग आये । लेकिन यहाँ के आचार विचार स्वीकार कर वे हिन्दू बन गए ।
 
इस देश में कभी ये लोग वेदमत के माने जाते थे । पीछे इनका नाम हिन्दू हुआ । वर्तमान  में यह नाम हिन्दू है । इस जनसमूह में बाहर से भी लोग आये । लेकिन यहाँ के आचार विचार स्वीकार कर वे हिन्दू बन गए ।

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