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अतः इस दुनिया में और मरने के बाद अतुलनीय महत्वाकांक्षा एवं ईनाम वाले ईश्वरीय दावों के साथ, ऐसी घातक और आत्मघातक कटिबद्धता वाली जिहादी विचारधारा के गुटों, समूहों का प्रतिकार करना आसान नहीं है। इस संदर्भ में कुछ बिन्दुओं पर विशेषकर विचार करना चाहिए -
 
अतः इस दुनिया में और मरने के बाद अतुलनीय महत्वाकांक्षा एवं ईनाम वाले ईश्वरीय दावों के साथ, ऐसी घातक और आत्मघातक कटिबद्धता वाली जिहादी विचारधारा के गुटों, समूहों का प्रतिकार करना आसान नहीं है। इस संदर्भ में कुछ बिन्दुओं पर विशेषकर विचार करना चाहिए -
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# जिहादी आतंकवाद ने केवल भारत, अमेरिका या यूरोप को ही निशाने पर नहीं रखा हुआ है। पिछले दो-तीन दशक से उस ने स्वयं मुस्लिम देशों, पश्चिम एशिया की लगभग हर राज्यसत्ता को भी चुनौती दी है। अभीअभी ईरान की संसद पर हमला करने वालों ने गर्व से दुहराया है, कि यही काम वे सउदी अरब और अन्य मुस्लिम देशों में भी करेंगे । वह राज्यसत्ताएं मुस्लिम हाथों में ही हैं । किंतु उन मुस्लिमों के जिन्होंने समय के साथ अनेक मूल इस्लामी मान्यताओं, निर्देशों से दूरी बना ली है अथवा जो सामाजिक-राजनीतिक जीवन के कई मामलों में सभी इस्लामी आदेशों को लागू करने में रुचि नहीं रखते । ऐसे शासकों से कट्टर इस्लामी और जिहादी संगठन नाराज रहे हैं। इसीलिए ऐसे इस्लामपंथियों ने पहले उन्हीं को निशाने पर रखा था। जब वे उस में विफल हुए, तब उन का कोप पश्चिमी देशों की ओर बढ़ा।
 
# जिहादी आतंकवाद ने केवल भारत, अमेरिका या यूरोप को ही निशाने पर नहीं रखा हुआ है। पिछले दो-तीन दशक से उस ने स्वयं मुस्लिम देशों, पश्चिम एशिया की लगभग हर राज्यसत्ता को भी चुनौती दी है। अभीअभी ईरान की संसद पर हमला करने वालों ने गर्व से दुहराया है, कि यही काम वे सउदी अरब और अन्य मुस्लिम देशों में भी करेंगे । वह राज्यसत्ताएं मुस्लिम हाथों में ही हैं । किंतु उन मुस्लिमों के जिन्होंने समय के साथ अनेक मूल इस्लामी मान्यताओं, निर्देशों से दूरी बना ली है अथवा जो सामाजिक-राजनीतिक जीवन के कई मामलों में सभी इस्लामी आदेशों को लागू करने में रुचि नहीं रखते । ऐसे शासकों से कट्टर इस्लामी और जिहादी संगठन नाराज रहे हैं। इसीलिए ऐसे इस्लामपंथियों ने पहले उन्हीं को निशाने पर रखा था। जब वे उस में विफल हुए, तब उन का कोप पश्चिमी देशों की ओर बढ़ा।
 
# जिहादी आतंकवाद को खत्म करने में आधुनिकतम हथियारों से सुसज्जित सेनाएं असमर्थ रही हैं । अफगानिस्तान और पाकिस्तान का पिछले पंद्रह वर्षों से यही परिदृश्य है । अमेरिका द्वारा चलाया गया ‘आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध' (वार ऑन टेरर) जीता नहीं जा सका । तालिबानों को मिटा देने की प्रतिज्ञा के साथ ब्रिटेन को अपना सैनिक अभियान अफगानिस्तान से चुपचाप, निष्फल खत्म करना पड़ा। यह पिछले सौ साल में ब्रिटेन का सब से विशाल, मँहगा सैनिक अभियान था । अमेरिकी प्रशासन ने भी बराक ओबामा के दूसरे कार्यकाल में उन्हीं तालिबानों के साथ किसी प्रकार का समझौता या बात-चीत का प्रयास किया, जिसे मिटाने के लिए अमेरिका वहाँ पंद्रह साल से जमा हुआ है। यह सब प्रमाण है कि जिहादी आतंकवाद के बारे में समझ और नीति दोनों ही अनुपयुक्त रही है । इस आतंकवाद के प्राण इस की विचारधारा में बसते हैं - उन आतंकवादी सरदारों और संगठनों में नहीं जिन पर प्रहार कर आतंकवाद को हराने की कोशिशें हो रही हैं।
 
# जिहादी आतंकवाद को खत्म करने में आधुनिकतम हथियारों से सुसज्जित सेनाएं असमर्थ रही हैं । अफगानिस्तान और पाकिस्तान का पिछले पंद्रह वर्षों से यही परिदृश्य है । अमेरिका द्वारा चलाया गया ‘आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध' (वार ऑन टेरर) जीता नहीं जा सका । तालिबानों को मिटा देने की प्रतिज्ञा के साथ ब्रिटेन को अपना सैनिक अभियान अफगानिस्तान से चुपचाप, निष्फल खत्म करना पड़ा। यह पिछले सौ साल में ब्रिटेन का सब से विशाल, मँहगा सैनिक अभियान था । अमेरिकी प्रशासन ने भी बराक ओबामा के दूसरे कार्यकाल में उन्हीं तालिबानों के साथ किसी प्रकार का समझौता या बात-चीत का प्रयास किया, जिसे मिटाने के लिए अमेरिका वहाँ पंद्रह साल से जमा हुआ है। यह सब प्रमाण है कि जिहादी आतंकवाद के बारे में समझ और नीति दोनों ही अनुपयुक्त रही है । इस आतंकवाद के प्राण इस की विचारधारा में बसते हैं - उन आतंकवादी सरदारों और संगठनों में नहीं जिन पर प्रहार कर आतंकवाद को हराने की कोशिशें हो रही हैं।
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