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छात्र का विकास तो सब चाहते है, मातापिता भी बालक के विकास की इच्छा करते है । विकास के कुल १९ महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं पर शिक्षक, मातापिता, दादादादी और अन्य लोगों के साथ जो वार्तालाप हुआ उनका अभिप्राय ऐसा रहा ।
 
छात्र का विकास तो सब चाहते है, मातापिता भी बालक के विकास की इच्छा करते है । विकास के कुल १९ महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं पर शिक्षक, मातापिता, दादादादी और अन्य लोगों के साथ जो वार्तालाप हुआ उनका अभिप्राय ऐसा रहा ।
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शिक्षकोने बताया यह सारे बिन्दु उनके पढाई के कोर्स के बाहर है, अतिरिक्त है । यह सब बातें करवाना मातापिता का कर्तव्य है । इतना सब पढाने के लिये समय
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शिक्षकोने बताया यह सारे बिन्दु उनके पढाई के कोर्स के बाहर है, अतिरिक्त है । यह सब बातें करवाना मातापिता का कर्तव्य है । इतना सब पढाने के लिये समय ही नहीं बचता क्योंकि पूरे वर्ष कोर्स, परीक्षा कार्यक्रम यह सारे तंत्र से फुरसत ही नहीं मिलती ।
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बडे बुजुर्ग लोगों को उन बिन्दुओं मे तथ्य समझमें आता है परंतु आजकल की पिढी सुनती समझती ही नहीं अतः वे हतबल थे ।
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मातापिता अच्छा भोजन, व्यायाम, सेवाकार्य, योगाभ्यास, उपासना आदि का महत्व तो जानते है परंतु बच्चे सुनते नहीं, करते नही या तो विद्यालय की पढाई में उनका यह सब होता नहीं है । केवल होमवर्क हम पुरा करवाते है। यह सब बातों की तरफ ध्यान देने के लिए हमे घर मे फुरसद नही मिलती दोनों नोकरी करते हैं इसलिये । इसी संबंध में कोई अच्छा क्लास होगा तो एडमिशन दिलवा देने के लिये वे तैयार है ।
    
_ विद्यालयों के विषय, विषयवस्तु, अन्यान्य गतिविधियाँ, व्यवस्था, वातावरण आदि सब यह विवेक सिखाने के लिये प्रयुक्त होने चाहिये । महाविद्यालयों में तो समाजशास्त्र का स्वरूप ही प्रथम चरण में सामाजिकता सिखाने का होना चाहिये । सामाजिकता की कसौटी पर ही अन्य विषयों का मूल्यांकन होना चाहिये । उदाहरण के लिये
 
_ विद्यालयों के विषय, विषयवस्तु, अन्यान्य गतिविधियाँ, व्यवस्था, वातावरण आदि सब यह विवेक सिखाने के लिये प्रयुक्त होने चाहिये । महाविद्यालयों में तो समाजशास्त्र का स्वरूप ही प्रथम चरण में सामाजिकता सिखाने का होना चाहिये । सामाजिकता की कसौटी पर ही अन्य विषयों का मूल्यांकन होना चाहिये । उदाहरण के लिये
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